रघुनाथ नगर (बलरामपुर) – रघुनाथ नगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दवा लेने पहुंचे तीन युवक—राहुल जायसवाल, सुशील जायसवाल और विपुल जायसवाल—एक षड्यंत्र का शिकार हो गए। दिनांक 17 जून 2025 की रात्रि लगभग 10:30 बजे दवा लेने अस्पताल पहुंचे इन युवकों को वहां कोई कर्मचारी नहीं मिला, जिसके बाद वे दवा की खोज में अस्पताल परिसर के कुछ कमरों में झांकने लगे।
युवकों का कहना है कि दवा कक्ष को देखकर केवल छूकर देखा गया कि शायद ताला खुला हो और दवा मिल सके, लेकिन वहां न तो ताला तोड़ा गया, न ही किसी से गाली-गलौज या बदतमीजी हुई। घटना के समय अस्पताल परिसर में कोई स्टाफ मौजूद नहीं था, फिर भी अस्पताल प्रभारी ने झूठी FIR दर्ज कराकर तीनों युवकों को जेल भेजवा दिया।
प्रश्नों के घेरे में अस्पताल प्रबंधन की मंशा
हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि युवक अस्पताल में घुसकर हंगामा कर रहे थे, लेकिन स्वयं अस्पताल प्रभारी ने इस बात से इनकार किया है। फिर सवाल उठता है कि केवल ताले को छूकर देखने मात्र से गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर, युवकों को जेल क्यों भेजा गया?
क्या यह कोई पूर्व नियोजित रंजिश थी?
क्या अस्पताल प्रबंधन ने एक छोटी-सी घटना को जानबूझकर बड़ा रूप देकर युवकों को फंसाया?
पुरानी रंजिश की भी चर्चा
सूत्रों के अनुसार, 4-6 महीने पहले एक युवक की अस्पताल के एक डॉक्टर से बहस हुई थी, जो बाद में शांत हो गई थी। पर अब माना जा रहा है कि उसी पुराने विवाद के कारण ही यह कार्रवाई की गई।
पुलिस का पक्ष
इस विषय में जब थाना प्रभारी से प्रतिनिधि ने बात की, तो उन्होंने कहा कि “शिकायत मिलने पर FIR दर्ज की गई है।”
प्रशासन से मांग: हो निष्पक्ष जांच
इस पूरे प्रकरण में कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े हो रहे हैं:
रात के समय अस्पताल में स्टाफ मौजूद क्यों नहीं था?
क्या केवल दवा लेने की कोशिश पर तीन युवकों को जेल भेजना उचित था?
यदि कोई तोड़फोड़ नहीं हुई, तो FIR किस आधार पर दर्ज हुई?
जनता और परिजनों की मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो, ताकि निर्दोष युवकों को न्याय मिल सके और प्रशासन की कार्यशैली पर से विश्वास न उठे।