छत्तीसगढ़ सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के समस्त मेडिकल कॉलेजों और उनसे संबद्ध अस्पताल परिसरों में मीडिया कवरेज पर प्रतिबंध लगाए जाने के आदेश के बाद सियासी तूफान खड़ा हो गया है। इस फैसले को लेकर विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया है।
प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस कदम को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला बताया है। उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
> “सरकार अपनी नाकामी और स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को छिपाने के लिए मीडिया की आवाज़ दबाना चाहती है। यह आदेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की मूल भावना पर कुठाराघात है। यह सेंसरशिप की शुरुआत है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि यदि व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं, तो मीडिया से डर कैसा? अस्पतालों की जमीनी हकीकत सामने लाने से रोकने का यह प्रयास न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि आम जनता की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दबाने की कोशिश भी है।
राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि हाल ही में सामने आईं मेडिकल कॉलेजों में अव्यवस्थाओं की खबरों से सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा है, जिससे बौखलाकर यह निर्णय लिया गया है।
क्या है आदेश:
चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि बिना अनुमति मीडिया को अस्पतालों या मेडिकल कॉलेज परिसरों में रिपोर्टिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस आदेश को लेकर पत्रकार संगठनों में भी रोष है और इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंकुश बताया जा रहा है।
मेडिकल कॉलेजों में मीडिया कवरेज पर बैन — सिंहदेव का तीखा वार, कहा: लोकतंत्र पर हमला, सरकार छिपा रही नाकामी…
