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24 Jun 2025, Tue

भैयाथान तहसीलदार निलंबित, अब भटगांव पर टिकी निगाहें! क्या सूरजपुर में राजस्व माफिया के खिलाफ प्रशासन चला रहा है सफाई अभियान?

भटगांव/सूरजपुर/13 जून 2025
सूरजपुर जिले में राजस्व विभाग की कार्यशैली को लेकर एक के बाद एक गंभीर खुलासे सामने आ रहे हैं। बहुचर्चित “सौतेले पुत्र नामांतरण” प्रकरण में भैयाथान तहसीलदार संजय राठौर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। वहीं, अब भटगांव तहसील में हुए फर्जी नामांतरण घोटाले को लेकर भी हलचल तेज है। सवाल उठता है कि क्या यह सिर्फ संयोग है या जिले में राजस्व माफिया पर चल रही एक सुनियोजित प्रशासनिक कार्रवाई?

शैल कुमारी की गुहार बनी गूंज, तहसीलदार पर गिरी गाज

ग्राम कोयलारी की बुजुर्ग महिला शैल कुमारी दुबे ने आरोप लगाया था कि उनके सौतेले पुत्र ने तहसीलदार संजय राठौर से साठगांठ कर उन्हें मृत दर्शाते हुए उनकी बेशकीमती जमीन पर अवैध नामांतरण करवा लिया। जांच में सामने आया कि न केवल उनका जाली दस्तावेज के आधार पर नाम मिटाया गया, बल्कि तहसीलदार ने बाद में वही जमीन अपनी पत्नी के नाम पर खरीदी भी।

यह मामला सिर्फ एक जमीन विवाद नहीं, बल्कि सत्ता, साजिश और स्वार्थ के त्रिकोण की कहानी है। संभागायुक्त नरेन्द्र दुग्गा ने जांच रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के तहत गंभीर दुराचरण की श्रेणी में की गई।

अब भटगांव में फूटा घोटाले का लावा! फर्जी दस्तावेज, झूठे हस्ताक्षर और गायब इश्तहार

इसी तरह, सूरजपुर जिले की भटगांव तहसील भी इन दिनों फर्जीवाड़े के आरोपों से घिरी है। ग्राम चुनगढ़ी निवासी रामशरण ने आरोप लगाया कि उनकी पुश्तैनी जमीन का अवैध फौती नामांतरण फर्जी दस्तावेज, मनगढ़ंत हस्ताक्षर और बिना विधिसम्मत इश्तहार प्रकाशन के आधार पर कर दिया गया।

रामशरण के अनुसार, जिस व्यक्ति का नाम जमीन में जोड़ा गया है, उसका कोई अधिकार, दस्तावेजीय प्रमाण या पारिवारिक संबंध नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे प्रकरण में तहसीलदार शिवनारायण राठिया, पटवारी और कार्यालय के कर्मचारी संगठित रूप से संलिप्त हैं।

खंडन पत्र या लीपापोती? तहसीलदार की सफाई से नहीं थम रहे सवाल

रामशरण के आरोप सामने आने के बाद तहसीलदार भटगांव ने खंडन जारी कर दावा किया कि सभी नामांतरण प्रक्रियाएं विधिवत और दस्तावेजों के आधार पर की गई थीं, लेकिन इस खंडन से न तो सवाल कम हुए और न ही जनाक्रोश।
कई जानकारों का मानना है कि यह खंडन एक प्रशासनिक औपचारिकता मात्र है, जो सत्य को ढंकने के प्रयास से अधिक प्रतीत होता है।

क्या सूरजपुर प्रशासन लेगा ठोस संज्ञान? या फिर ये भी दबा दिया जाएगा?

भैयाथान में हुए स्पष्ट धोखाधड़ी और अब भटगांव में उठते सवालों के बाद आम जनता यह जानना चाहती है कि क्या जिला प्रशासन केवल एक तहसीलदार की बलि देकर पूरे सिस्टम को बचा लेगा? या फिर सूरजपुर में राजस्व माफिया के खिलाफ व्यापक सफाई अभियान की शुरुआत हो चुकी है?

रामशरण ने मांग की है कि फर्जीवाड़े में शामिल सभी व्यक्तियों पर BNS की धारा 420, 467, 468, 471, 120B के तहत अपराध दर्ज कर गिरफ्तारी की जाए।

विश्लेषण: जमीन की लड़ाई या न्याय की पुकार?

भैयाथान और भटगांव—दो तहसीलें, दो प्रकरण, लेकिन एक जैसी प्रशासनिक चूक और भ्रष्टाचार की बू।
ये घटनाएं छत्तीसगढ़ के राजस्व प्रशासन पर बड़े सवाल खड़े करती हैं:

क्या तहसीलदार सिर्फ मुहर लगाने वाले हैं या फैसले के दलाल?

क्या “लोक सेवा गारंटी अधिनियम” सिर्फ पोस्टर का हिस्सा है?

कितने और रामशरण व शैल कुमारी न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं?

CGN24 की विशेष निगरानी में: आने वाले दिनों में और खुलासे संभव
सूत्रों के अनुसार भटगांव तहसील में ऐसे दर्जनों नामांतरण प्रकरणों की फाइलें खुलने वाली हैं जो अब तक अनदेखी रही हैं। बहुत जल्द आपके सामने एक-एक कर उन सच्चाइयों को उजागर करेगा।