अम्बिकापुर/18 जुलाई 2025।
जिला आयुर्वेद विभाग, अम्बिकापुर में फर्जी ट्रेवल एजेंसी के नाम पर शासकीय राशि के दुरुपयोग का बड़ा मामला सामने आया है। इस घोटाले को लेकर आज 18 जुलाई को पत्रकार सूर्य नारायण ने कोतवाली थाने में लिखित शिकायत देकर FIR दर्ज कर कठोर कार्रवाई की मांग की है।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि “भारत ट्रेवल्स” नामक एक निजी एजेंसी के नाम पर नकली, कूटरचित बिल लगाकर लाखों रुपये की सरकारी राशि निकाल ली गई, जबकि वह एजेंसी वर्षों पहले ही निष्क्रिय हो चुकी थी।
गैरकानूनी भुगतान, खत्म पंजीयन और गबन के ठोस सबूत
शिकायत में उल्लेख किया गया है कि “भारत ट्रेवल्स” एजेंसी का गुमास्ता पंजीयन क्रमांक 000020/SRG/5/2017 दिनांक 2 जनवरी 2017 को जारी हुआ था, जिसकी वैधता 1 जनवरी 2022 को समाप्त हो गई। इसके बावजूद वर्ष 2022-23 और 2023-24 में इसी एजेंसी के नाम पर लाखों रुपये के बिल लगाकर भुगतान लिया गया।
शिकायत के साथ RTI के माध्यम से प्राप्त दस्तावेज़, बिलों की प्रतियां और गुमास्ता प्रमाणपत्र भी संलग्न किए गए हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत ट्रेवल्स के वास्तविक संचालक अब्दुल रब ने स्वयं स्पष्ट किया है कि उन्होंने उक्त वर्षों में विभाग को कोई वाहन सेवा नहीं दी।
जांच में 50 से अधिक संदिग्ध बिल, फर्जी वाहनों का उपयोग
शिकायतकर्ता ने बताया कि प्रारंभिक रूप से जांच में कम से कम 50 से अधिक फर्जी बिलों का पता चला है, जिनमें विभिन्न गाड़ियों के नंबर और काल्पनिक तारीखों का उपयोग किया गया। कुछ प्रमुख उदाहरण निम्न हैं:
3 से 5 अगस्त 2022: बिल क्रमांक 169, वाहन CG-10-8G-5446, ₹15,250
21 सितंबर 2022: बिल क्रमांक 193, वाहन CG-15-DP-6456, ₹6,511
3 से 4 मार्च 2024: बिल क्रमांक 01/MAR-24, वाहन CG-15-DV-6838, ₹14,946
10 फरवरी 2024: बिल क्रमांक 016/FEB-24, ₹5,020
इन सभी में बंद हो चुके पंजीयन नंबर और एक ही एजेंसी नाम का इस्तेमाल किया गया है, जो स्पष्ट रूप से कूटरचना (Forgery) और शासकीय कोष का गबन (Embezzlement) है।
सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका
पत्रकार सूर्य नारायण ने अपने शिकायत पत्र में स्पष्ट रूप से आरोप लगाया है कि यह सारा घोटाला विभागीय अधिकारियों, बाबुओं और बाहरी दलालों की मिलीभगत से किया गया है। उनका कहना है कि यह कोई अकेले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य नहीं, बल्कि पूर्वनियोजित आपराधिक षड्यंत्र है, जिसमें सरकारी तंत्र का दुरुपयोग हुआ है।
FIR, गिरफ्तारी और EOW जांच की मांग
शिकायत में BNS की कई धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज करने की मांग की गई है, जिनमें प्रमुख हैं:
कूटरचना – BNS धारा 316(2)(A), 318(2)
धोखाधड़ी – धारा 322, 326, 330
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988
शासकीय कोष की चोरी/गबन
शिकायतकर्ता ने मांग की है कि:
1. प्रकरण में अपराध पंजीबद्ध कर दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की जाए।
2. शासकीय राशि की वसूली हेतु संपत्ति कुर्की की प्रक्रिया चलाई जाए।
3. पूरे घोटाले को EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) को सौंप कर निष्पक्ष जांच कराई जाए।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
इस प्रकरण में जिला आयुर्वेद अधिकारी की भूमिका भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि सभी भुगतान उन्हीं के अधीनस्थ कार्यालय द्वारा जारी किए गए हैं। जब इस मामले में प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई तो अधिकारी फोन पर अनुपलब्ध रहे।
RTI से खुला मामला, पत्रकार ने कहा – जारी रखूंगा खुलासे
पत्रकार सूर्य नारायण ने बताया कि यह पूरा मामला RTI के माध्यम से दस्तावेज़ निकालकर उजागर किया गया है। उन्होंने कहा कि “यह केवल एक मामला नहीं है। इसी तरह कई अन्य मामले आयुर्वेद विभाग में हैं जिसमें अलग अलग तरीके से भ्रष्टाचार हुआ है जिसमें सरकारी खजाने को चूना लगाया जा रहा है। मैं ऐसे सभी घोटालों की परतें खोलूंगा।”
अब सवाल ये है…
बंद हो चुकी ट्रेवल एजेंसी को भुगतान कैसे और किसने किया?
चेक/ऑनलाइन भुगतान किन खातों में हुआ और किसके दस्तखत से?
क्या यह एक संगठित घोटाला है जो वर्षों से चल रहा है?
अगर पुलिस और जिला प्रशासन इस शिकायत पर समय रहते कार्रवाई करता है तो न सिर्फ दोषी जेल पहुंचेंगे, बल्कि भविष्य में सरकारी धन की इस तरह की खुली लूट पर भी लगाम लग सकेगी।



