स्थगन आदेश के बावजूद जारी है निर्माण कार्य, 23 मई को चक्का जाम और आमरण अनशन का ऐलान
सूरजपुर (छत्तीसगढ़)।
सूरजपुर जिले के ग्राम पंचायत सत्यनगर में प्रशासनिक लापरवाही और मिलीभगत का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहाँ गाँव की निस्तार भूमि पर कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा अवैध कब्जा कर निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी है। यह वही भूमि है जहाँ वर्षो से दुर्गा पूजा और अन्य सामाजिक व सांस्कृतिक आयोजन होते आ रहे हैं। अब इस भूमि पर कब्जे से ग्रामीणों की धार्मिक और सामाजिक आस्थाओं पर सीधा आघात हुआ है।
तहसीलदार और पटवारी पर मिलीभगत का आरोप
स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि इस गैरकानूनी कब्जे के पीछे भैयाथान के तहसीलदार और पटवारी की मिलीभगत है। ग्रामीणों के अनुसार, कब्जाधारियों से मोटी रकम लेकर इन अधिकारियों ने न केवल आंखें मूंद ली हैं, बल्कि शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।
16 मई को, पूर्व सरपंच राजालाल पैकरा की शिकायत पर तहसीलदार द्वारा स्थगन आदेश जारी किया गया था। परंतु आश्चर्य की बात यह है कि आदेश के बावजूद निर्माण कार्य अब तक बदस्तूर जारी है। इससे साफ़ प्रतीत होता है कि प्रशासनिक आदेश सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह गए हैं।
प्रशासन की चुप्पी: भ्रष्टाचार या भय?
स्थानीय जनता पूछ रही है — जब स्थगन आदेश जारी हो चुका है, तो निर्माण क्यों जारी है? क्या प्रशासन ने खुद ही अपनी साख को दांव पर लगा दिया है? या फिर तहसील स्तर पर भ्रष्टाचार इस हद तक बढ़ चुका है कि आदेश भी अब बिकने लगे हैं?
ग्रामवासियों का अल्टीमेटम: अब आर-पार की लड़ाई
ग्रामवासियों ने चेतावनी दी है कि यदि दोषी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई नहीं की गई और अवैध निर्माण नहीं रोका गया, तो वे 23 मई को मोहली चौक में चक्का जाम और आमरण अनशन करेंगे। यह सिर्फ एक आंदोलन नहीं होगा, यह प्रशासनिक भ्रष्टाचार और गाँव की अस्मिता की रक्षा की लड़ाई होगी।
जिला प्रशासन पर टिकी निगाहें
अब सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा? क्या तहसीलदार और पटवारी जैसे भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई होगी? या फिर ग्रामीणों को अपनी ज़मीन और अधिकार बचाने के लिए सड़क पर उतरकर न्याय माँगना पड़ेगा?
यदि अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो यह मामला न सिर्फ सूरजपुर जिले, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक व्यवस्था की साख पर एक गहरा प्रश्नचिह्न बन जाएगा।
