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4 Aug 2025, Mon

3 दिन में 5 बाल विवाह रोके, फिर भी सवाल जागरूकता की बातें सिर्फ रिपोर्ट में क्यों दिखती हैं…?

सूरजपुर, 17 अप्रैल 2025 ।जिले में बाल विवाह के खिलाफ प्रशासन की मुहिम ने एक बार फिर गति पकड़ी है। जिला कलेक्टर श्री एस. जयवर्धन के निर्देशन में महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस प्रशासन और बाल संरक्षण इकाई की संयुक्त टीमें सक्रिय हुईं और मात्र तीन दिनों में ओड़गी, प्रतापपुर और भैयाथान विकासखंडों में पाँच बाल विवाह रोकने का दावा किया गया। आंकड़ों में यह उपलब्धि जरूर सराहनीय लगती है, लेकिन जमीनी हकीकत और भी कई गहरे सवाल खड़े करती है। बहरहाल जिला कार्यक्रम अधिकारी रमेश साहू एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल के नेतृत्व में विभिन्न विकासखंडों में कार्यरत टीमों ने त्वरित कार्यवाही कर संभावित बाल विवाहों को रोका,
लेकिन सवाल यह उठता है कि जब योजनाएं, जागरूकता रैलियां, कार्यशालाएं और सरकारी धन की बड़ी-बड़ी खर्चीली परियोजनाएं वर्षों से चल रही हैं — तब भी क्यों आज भी गांवों की गलियों में बाल विवाह की रस्में निभाई जा रही हैं….?

जागरूकता की कमी या ज़िम्मेदारों की बेरुख़ी…?

बाल विवाह जैसी कुप्रथा को खत्म करने के लिए वर्षों से योजनाएं बनाई जा रही हैं, जागरूकता रैलियाँ निकाली गई हैं, लाखों रुपये के बजट से वर्कशॉप और प्रचार-प्रसार किया गया है। फिर भी, जब एक जिले में मात्र तीन दिनों में पाँच बाल विवाह रोके जाते हैं — तो यह इस ओर इशारा करता है कि योजनाएं कागज़ों तक सीमित हैं और वास्तविक क्रियान्वयन में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है।

जवाबदेह अधिकारी कहाँ थे जब ये विवाह तय हो रहे थे…?
विकासखंड स्तर पर तैनात महिला बाल विकास अधिकारी, बाल संरक्षण अधिकारी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ज़िम्मेदारी बनती है कि वे अपने क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखें। पर जब विवाह की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी होती हैं और ऐन वक्त पर टीमें पहुंचती हैं — तो यह सवाल उठना लाज़िमी है कि आखिर जिम्मेदार अधिकारी समय रहते सक्रिय क्यों नहीं होते?

साहसी हस्तक्षेप, लेकिन पूर्वनियोजन नदारद
भैयाथान के सिरसी गांव में रात 9:30 बजे टीम द्वारा रोका गया बाल विवाह यह दर्शाता है कि कुछ कर्मचारी अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं। पर क्या इन संवेदनशील कार्यवाहियों के लिए भी हमें हमेशा अंतिम वक्त तक इंतजार करना चाहिए..? क्या यह मुमकिन नहीं कि पंचायत, स्कूल और आंगनबाड़ी स्तर पर सतत निगरानी तंत्र विकसित कर ऐसे मामलों को समय रहते पकड़ा जाए?

संवेदनशीलता बनाम सिस्टम की सुस्ती
संवेदनशील अधिकारी और जमीनी कार्यकर्ताओं की मेहनत प्रशंसनीय है, लेकिन जब सिस्टम में ही सतर्कता की कमी हो, तो इन प्रयासों का दायरा सीमित हो जाता है। बाल विवाह की हर घटना यह बताती है कि समाज और शासन के बीच की कड़ी अभी भी कमज़ोर है।

आखिर कब होगी संजीदगी….?
जागरूकता की बुनियाद पर खड़ा कोई भी अभियान तभी सफल होता है जब उसे ज़िम्मेदारी और निरंतर निगरानी का सहारा मिले। बाल विवाह के खिलाफ चल रही मुहिम को तब तक संजीदगी नहीं मिल सकती जब तक जमीनी अधिकारियों की निष्क्रियता पर भी वैसी ही सख्ती न हो जैसी दोषियों पर की जा रही है।

तीन दिनों में पाँच मामले, लेकिन चेतावनी भविष्य के लिए

प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि 14 से 16 अप्रैल तक ओड़गी, प्रतापपुर और भैयाथान विकासखंडों में कुल 5 बाल विवाह रोके गए। जिसमें ओड़गी विकासखंड में करीब 3 मामले,प्रतापपुर विकासखंड में 1 मामला और भैयाथान विकासखंड में 1 मामला अबतक सामने आया है। वहीं दूसरी तरफ प्रतापपुर में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया जिसमें 20 वर्षीय बालक का विवाह 27 वर्षीय महिला से कराया जा रहा था। जब टीम पहुंची तो विवाह की सभी तैयारियां लगभग पूर्ण थीं। लेकिन जब जांच में बालक की उम्र विवाह के योग्य नहीं पाई गई, तो टीम ने परिजनों को समझाइश देकर विवाह रुकवाया।

कलेक्टर ने जारी किया सार्वजनिक अपील
जिला कलेक्टर श्री एस. जयवर्धन ने जिलेवासियों से विनम्र अपील है कि बेटियों को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें बाल विवाह से बचाऐं। बालिका के स्वास्थ्य शिक्षा एवं समग्र विकास में यदि कोई बाधा है तो वह बाल विवाह है। जिले को बाल विवाह मुक्त कराने हेतु पुरा प्रशासन लगा है। बाल विवाह होने पर वैद्यानिक कार्यवाही की जायेगी उससे अच्छा है कि हम अपनी बच्चियों के उम्र होने पर अर्थात 18 वर्ष पूर्ण होने पर एवं लड़को का विवाह 21 वर्ष पूर्ण होने पर ही विवाह करें।लेकिन जब तक निचले स्तर पर अधिकारी और कर्मचारी अपनी जवाबदेही को लेकर सजग नहीं होंगे, तब तक यह अपीलें भी रस्म अदायगी भर रह जाएंगी।

इनकी रही सक्रिय भूमिका
बाल विवाह रोकवाने वालो में श्री मनोज जायसवाल जिला बाल संरक्षण अधिकारी, श्रीमती ललिता भगत अनुविभागीय अधिकारी राजस्व प्रतापपुर, तहसीलदार प्रतापपुर, श्री जागेश्वर साहू परियोजना अधिकारी ओडगी, मो. ईमरान अख्तर परियोजना अधिकारी भैयाथान, श्रीमती संतोषी सिंह प्रभारी परियोजना अधिकारी प्रतापपुर, थाना प्रभारी श्री लक्षमण सिंह प्रतापपुर, पर्यवेक्षक ज्योति राज, शीला वर्मा, सीमा, प्रियांशि सिंघल, विभा साहू, जिला बाल संरक्षण अधिकारी से काउंसलर जैनेन्द्र दुबे, आउट रिच वर्कर पवन धीवर, चाईल्ड लाईन से शीतल सिंह, नंन्दनी खटिक, चौकी बसदेई से प्रधान आरक्षक राम प्रसाद सांडिल्य, शिव कुमार सारथी, आरक्षक अशोक कुमार सिंह, महिला प्रधान आरक्षक अल्का टोप्पो एवं सरपचं बसंत लाल , आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सक्रिय रहे।