अंबिकापुर नगर निगम में मेयर इन काउंसिल (MIC) का गठन कर दिया गया है। महापौर मंजूषा भगत ने 10 पार्षदों को अपनी टीम में शामिल किया, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और फायर ब्रांड छवि वाले आलोक दुबे को इसमें जगह नहीं दी गई। उनके नाम पर लंबे समय तक अटकलें थीं, लेकिन अंततः उन्हें शामिल नहीं किए जाने से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।
मेयर इन काउंसिल के गठन में मनीष सिंह को लोक निर्माण विभाग (PWD) की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि शिक्षा विभाग का प्रभार सुशांत घोष को मिला है। इस फैसले से निगम की राजनीति में नए समीकरण बनने लगे हैं। आलोक दुबे सभापति पद के भी दावेदार थे, लेकिन न तो उन्हें यह पद मिला और न ही MIC में कोई स्थान।
सूत्रों की मानें तो महापौर मंजूषा भगत चाहती थीं कि आलोक दुबे को टीम में शामिल किया जाए, लेकिन संगठन के दबाव के कारण वह यह फैसला नहीं ले पाईं। इस घटनाक्रम के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों में नाराजगी देखी जा रही है। कई लोग इसे पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी का नतीजा मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे रणनीतिक फैसला बता रहे हैं।
नगर निगम की राजनीति में इस बदलाव के कई मायने निकाले जा रहे हैं। आलोक दुबे की अनदेखी से पार्टी के भीतर असंतोष पनप सकता है, जिसका असर आने वाले समय में देखने को मिल सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सियासी समीकरण आगे क्या मोड़ लेते हैं और भाजपा संगठन इस मामले को कैसे संभालता है।