BNS की धाराओं में मामला दर्ज कराने की मांग तेज
बलरामपुर जिले के रघुनाथनगर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत जनकपुर में वनभूमि पर अवैध अतिक्रमण का सनसनीखेज मामला सामने आया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह क्षेत्र विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते के गृह ग्राम में आता है — यानी जंगलराज अब सीधे सत्ता के दरवाजे तक पहुँच चुका है।
वन कक्ष P-612 में अतिक्रमण – धड़ल्ले से हो रही धान की रोपाई
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सत्येंद्र सिंह ठाकुर नामक व्यक्ति ने अपने परिजनों के साथ मिलकर वन कक्ष क्रमांक P-612 में अवैध कब्जा कर लिया है। यहाँ धान की खेती खुलेआम की जा रही है — वो भी वनभूमि पर।
जब वन सुरक्षा श्रमिक रामनाथ सिंह मौके पर अवैध रोपाई को रोकने पहुँचे, तो उनके साथ न केवल जातिगत गाली-गलौज की गई, बल्कि उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई।
BNS के अंतर्गत संभावित अपराध व धाराएं
धारा 74 (BNS 2023) – जाति आधारित अपमान
👉 किसी व्यक्ति को उसकी जाति या समुदाय के आधार पर सार्वजनिक रूप से अपमानित करना।
📌 धारा 114 (BNS 2023) – जान से मारने की धमकी देना
👉 भय फैलाने व मानसिक दबाव डालने हेतु जीवन को खतरे में डालने की धमकी।
📌 धारा 285 (BNS 2023) – शासकीय संपत्ति पर अतिक्रमण करना
👉 वनभूमि पर जबरन कब्जा करना या उसे नुकसान पहुँचाना।
📌 धारा 44 व 45 (BNS 2023) – सरकारी कर्मचारी द्वारा कर्तव्य में लापरवाही व मिलीभगत
👉 सुरक्षा कर्मी की ड्यूटी में बाधा डालना या जानबूझकर लापरवाही बरतना।
बिट गार्ड और वन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
मामले में बिट गार्ड की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। ड्यूटी के समय मौके पर उसकी अनुपस्थिति और वन परिक्षेत्र अधिकारी शिवनाथ ठाकुर की संभावित मिलीभगत की चर्चा भी सामने आ रही है।
सूत्रों का कहना है कि बिट गार्ड की लापरवाही और उच्च अधिकारियों की आँख मूँद नीति के चलते ही यह अतिक्रमण संभव हो पाया।
यदि ये आरोप सही हैं, तो इन अधिकारियों पर भी BNS धारा 45 के तहत कार्यवाही बनती है।
FIR की माँग, जनाक्रोश बढ़ा
वन सुरक्षा श्रमिक रामनाथ सिंह ने थाना रघुनाथनगर में लिखित शिकायत देकर सत्येंद्र सिंह ठाकुर व उनके परिवार के खिलाफ जातिवादी टिप्पणी, धमकी, और अवैध कब्जा के मामलों में FIR दर्ज करने की माँग की है।
साथ ही बिट गार्ड की भूमिका की भी जाँच कर विभागीय और आपराधिक कार्रवाई की माँग की गई है।
प्रशासन की पहली प्रतिक्रिया – कार्रवाई का आश्वासन
उप वन मंडल अधिकारी बलरामपुर श्री अनिल पैकरा ने कहा है कि –
> “मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”
अब उठते हैं गंभीर सवाल
🔹 विधायक के गृह क्षेत्र में ही जब जंगल राज है, तो बाकी जिलों की स्थिति कैसी होगी?
🔹 क्या वन विभाग खुद अतिक्रमण को संरक्षण दे रहा है?
🔹 क्या BNS की धाराएं सिर्फ कागजों पर ही लागू रहेंगी?
🔹 क्या वन सुरक्षा कर्मी और शिकायतकर्ता को न्याय मिलेगा?
जनता, मीडिया और जनप्रतिनिधियों की निगाहें अब प्रशासन पर टिकी हैं।
अब देखना है कि क्या यह मामला एक और ‘फाइलों में दफन केस’ बनकर रह जाएगा या न्याय की नींव पर उदाहरण बनेगा।


