बलरामपुर, 17 मई 2025:
रघुनाथ नगर वन परिक्षेत्र इस वक्त गंभीर अव्यवस्थाओं और अनदेखी का शिकार है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां के प्रभारी रेंजर न केवल अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाह हैं, बल्कि आधुनिक तकनीक जैसे व्हाट्सएप चलाना या देखना तक उन्हें नहीं आता। यही नहीं, प्रबंधक फुल साय सिंह की मनमानी और बेलगाम रवैया अब चरम पर है, जिससे प्रशासन और व्यवस्था दोनों तार-तार हो रहे हैं।
15 मई 2025 को उप प्रबंध संचालक बलरामपुर द्वारा एक संशोधन आदेश जारी किया गया था, जिसे तत्काल प्रभाव से लागू करना आवश्यक था। लेकिन रघुनाथ नगर के प्रभारी रेंजर और प्रबंधक फुल साय सिंह ने उस आदेश की खुलेआम अवहेलना कर दी। सवाल यह उठता है कि क्या यह सीधी-सीधी प्रशासनिक अवज्ञा नहीं है? अगर हां, तो फिर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
राजनीतिक संरक्षण का सवाल
प्रबंधक फुल साय सिंह पर पहले भी राजनीतिक संबंध रखने और नियमों की धज्जियां उड़ाने के आरोप लग चुके हैं। लेकिन बार-बार शिकायतों और आरोपों के बावजूद अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। क्या यह माना जाए कि उन्हें ऊपर से कोई मजबूत राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है? अगर नहीं, तो फिर जांच और कार्रवाई में देरी क्यों?
जनता पूछ रही है सवाल
जब आदेश दिया गया था तो पालन क्यों नहीं हुआ?
एक अनपढ़ प्रभारी रेंजर कैसे इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहा है?
कब तक तंत्र ऐसे भ्रष्ट और अक्षम लोगों के हाथों में रहेगा?
सरकारी तंत्र पर सवाल
एक ओर सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही की बात करती है, वहीं दूसरी ओर ऐसे अधिकारी तैनात हैं जो आदेशों को रद्दी कागज़ समझते हैं। रेंजर की डिजिटल अक्षमता जहां क्षेत्रीय संचार प्रणाली को बाधित कर रही है, वहीं प्रबंधक की मनमानी पूरे सिस्टम को नकारात्मक दिशा में धकेल रही है।
अब वक्त आ गया है कि उच्च अधिकारी इस मामले में स्वतः संज्ञान लें और कठोर कार्रवाई करें, ताकि रघुनाथ नगर को दोबारा पटरी पर लाया जा सके। अगर अभी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि विभागीय तंत्र अंदर से सड़ चुका है।
आखिर में बस एक सवाल — क्या अब भी प्रशासन जागेगा या रघुनाथ नगर ऐसे ही अंधेर नगरी बना रहेगा?


