सूरजपुर 16 अप्रैल 2025 ।सरकार की मंशा है कि कोई भी बच्चा भूखा न सोए, कुपोषण का शिकार न हो और उसका बचपन खिलखिलाहटों से भरा हो। लेकिन भैयाथान विकासखंड क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्रों में मासूमों की वो हँसी कहीं खो गई है। वहां भूख, बदबूदार खाने और जिम्मेदारों की लापरवाही ने बचपन को जंजीरों में जकड़ लिया है।
भैयाथान परियोजना के तहत संचालित कई आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को पोषण देने की बजाय, उन्हें धीरे-धीरे बीमारियों की ओर ढकेला जा रहा है। जो आहार उन्हें ताकत देने वाला होना चाहिए, वही उनकी सेहत बिगाड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने खुलकर आरोप लगाए हैं कि केंद्रों में दी जाने वाली दाल, आलू, सोयाबीन बरी जैसी आवश्यक सामग्री सड़ी-गली, बासी और खाने लायक नहीं होती। कई बार बच्चों को वह भोजन दिया जाता है जिसे जानवर भी न खाएं।

कागजों में सेहत, भौतिक धरातल पर दिखावा
सरकारी फाइलों में हर बच्चा स्वस्थ है, हर केंद्र में पर्याप्त सामग्री है और हर निरीक्षण सफल है। लेकिन ज़मीन पर सच्चाई बेहद भयावह है। निरीक्षण के नाम पर केवल दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होते हैं, और केंद्रों की असल हालत पर किसी की नजर नहीं जाती।
गहरी साठगांठ, मजबूत तंत्र
इस पूरे गड़बड़झाले के पीछे एक मजबूत और सुनियोजित तंत्र काम कर रहा है, जिसमें विभागीय अधिकारियों से लेकर स्थानीय रसूखदार तक शामिल हैं। रेडी टू ईट एजेंसियां, ठेकेदार, रिटायर्ड कर्मचारी और प्रभावशाली लोगसभी इस लूट की चेन में जुड़े हुए हैं। इनका मकसद बच्चों का पेट भरना नहीं, अपनी जेबें भरना है।

नन्हीं ज़िंदगियों से छलावा
कुपोषण एक ऐसा धीमा ज़हर है, जो बच्चों की शारीरिक और मानसिक विकास को जकड़ लेता है। जब एक बच्चा भूखा सोता है, जब उसके हिस्से का दूध और दाल कोई और खा जाता है, तब उसका बचपन उस स्याही में डूब जाता है जिससे इन योजनाओं की फाइलें लिखी जाती हैं।
प्रशासन से गुहार, न्याय की उम्मीद
स्थानीय नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक युवाओं ने शासन-प्रशासन से अपील की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों को बख्शा न जाए। अगर आज इन नन्हें बच्चों की आवाज़ नहीं सुनी गई, तो आने वाला कल हमसे हिसाब मांगेगा।